रविवार, 19 जुलाई 2009

लोक संगीत की बयार से मदहोश हुआ मुजफ्फरपुर


गांव की माटी की खुशबू ने जब लोक धुनों के अलग-अलग मिजाज के साथ अपनी परंपरा का परिचय कराया तो संगीत से अनभिज्ञ श्रोता भी झूमने पर विवश हो गये। मौका था डा.जाकिर हुसैन संस्थान के सहयोग से मुजफ्फरपुर थियेटर एसोसिएशन द्वारा रविवार को जिला स्कूल में आयोजित लोक जमघट का। ग्रामीण अंचलों की संस्कृति और बोलियों में रचे-बसे संगीत ने जब हजारों वर्षों की पंरपरा को दुहराया तो पूरा माहौल लोकरंगों की मादकता से सराबोर हो उठा। कार्यक्रम का आगाज सुप्रसिद्ध संगीतकार पं.मुनीन्द्र शुक्ल ने बांसुरी वादन से किया। बांसुरी की टेर में गमक मूच्र्छना का समावेश सहित राग पीलू की मधुर प्रस्तुति से उन्होंने कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान की। उनका वादन सुन सभागार में बैठे लगभग पांच सौ लोग मुग्ध हो उठे। कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमे जिले के सभी प्रखंडों के गायकों व वादकों ने गांव की गायन परंपरा की जीवंत प्रस्तुति की। लोक धुनों के रंग में चैती, कजरी, झूमर, बारहमासा व लोक भजनों के रंग में रंगे गायकों और श्रोताओं ने पूरा दिन पारंपरिक गीतों को समर्पित किया। पारू के श्यामनाथ राय ने बारहमासा गीत 'सावन में हे सखी सगरो सुहावन' सुनाकर श्रोताओं की भरपूर तालियां बटोरी। समस्तीपुर के श्याम मोहन मिश्र के गीत 'सास ननद मिली कइनी झगड़वा, पिया ले के अलगे रहब' की प्रस्तुति भी लोक परंपरा को स्थापित करने में सफल रही। सुप्रसिद्ध गायिका डा. पुष्पा प्रसाद ने राग देश में 'परदेसवा ना जइह पिया सावन' सुनाकर श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। वहीं छह वर्षीय तबला वादक कुमार अनुज का तबला वादन सुन लोग हतप्रभ रह गये। लोगों ने जोरदार तालियों के साथ इस नन्हें वादक को नवाजा। आठ वर्षीय अंकित की प्रस्तुति 'जगदम्बा घर में दीयरा बार अइली रे' की प्रस्तुति भी काफी सराहनीय रही। बारह वर्षीय गायक दीपक ने 'बाली मोरा अबहीं उमरिया, विधाता दिनमा धई लेलन' सुनाकर लोक गीतों की मधुरता का एहसास कराया। सौम्या के 'झिर-झिर बुनिया' गीत भी श्रोताओं द्वारा काफी पंसद किये गये। इसके अलावा मिश्रीलाल के गीत जब से 'कन्हैया गइले गोकुला बिसार गइले' एवं शत्रुघ्न सिन्हा के 'छोरू पिया हम्मर अंचरा के कोर' की प्रस्तुति भी बेहद सराहनीय रही। गीत-संगीत के दौर में मेहसी के दिग्विजय नारायण सिंह, सकरा की सुश्री निशा रागिनी, कांटी की लीला देवी व रामाशीष व्यास, बंदरा के अशोक वर्मा, बोचहां के मोहन चौधरी व मनियारी के ओमप्रकाश वर्मा, मुशहरी के कौशल किशोर मिश्र, गायघाट के दिनेश प्रसाद यादव सहित शहर के विनय गिरी, किरण देवी, मुकेश व अनामिका ने कई लोकगीतों को सुनाकर श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता विजय खरे ने मंच से अपनी नयी बज्जिका फिल्म लक्ष्मी अलथिन हमार अंगना में गायिका सौम्या को गायन के लिए चयनित किया। इस मौके पर श्री खरे, बक्सर से आये चर्चित गीतकार कुमार नयन, डा.जाकिर हुसैन संस्थान के केन्द्र निदेशक प्रो. विनय कुमार सिंह सहित सभी कलाकारों को चादर भेंट कर सम्मानित किया गया। वहीं मंच सज्जा में कलात्मक निखार लाने के लिए राजेश कुमार की प्रमुख भूमिका रही। कार्यक्रम में बतौर मेहमान सांसद कैप्टन जयनारायण निषाद, आपदा मंत्री देवेश चंद्र ठाकुर, विधायक बिलट पासवान, जिला मुखिया संघ के कार्यकारी अध्यक्ष इन्द्रभूषण सिंह अशोक व भाजपा जिलाध्यक्ष रवीन्द्र प्रसाद सिंह भी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन एसोसिएशन के अध्यक्ष एम.अखलाक व धन्यवाद ज्ञापन सचिव प्रमोद कुमार आजाद ने किया। पूरे कार्यक्रम में शहर के लगभग सभी संगीतकार, साहित्यकार और संगीत प्रेमी मौजूद रहे।

1 टिप्पणी:

Geetashree ने कहा…

मुझे अपने शहर की याद आ रही है..जैसे परदेस में आती है अपने वतन की याद.आप मुजफ्फरपुर की और गतिविधियों के बारे में भी लिखते रहे। हम जैसो के लिए जरुरी है। शुक्रिया आपको।

गीताश्री